बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-2 - निर्देशन एवं परामर्श बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-2 - निर्देशन एवं परामर्शसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-2 - निर्देशन एवं परामर्श
प्रश्न- परामर्श की प्रमुख प्रविधियाँ कौन-कौन सी हैं? निर्देशन और परामर्श में साक्षात्कार प्रविधि क्यों अधिक उपयोगी सिद्ध हुई है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
परामर्श की प्रविधियाँ
(1) मौन धारण प्रविधि - जब उपबोधक उपबोध्य की समस्या या वार्ता को चुपचाप बिना किसी टिप्पणी के धैर्यपूर्वक सुनता रहता है तो इसे मौन धारण प्रविधि कहते हैं। इस प्रविधि में उपबोधक बिना किसी विघ्न के उपबोध्य की समस्या को समझने का प्रयास करता है एवं दृष्टिकोण को स्वीकार करता है। मौन धारण का दूसरा प्रभाव यह है कि उपबोध्य को अपने विचार तथा समस्या को विस्तार से स्पष्ट करने का अवसर प्राप्त होता है। ऐसा होने पर उपबोध्य के अचेतन में स्थित सभी कुण्ठाएँ बाहर आ जाती हैं। इस प्रविधि में उपबोधक उपबोध्य को अधिक बोलने के लिये प्रोत्साहित करता है। यदि कभी उपबोध्य बोलना बन्द करता है तो उपबोधक कुछ बोलकर उपबोध्य को बोलने के लिये पुनः प्रेरित करता है।
(2) स्वीकृति प्रविधि - इस प्रविधि में उपबोधक जब उपबोध्य द्वारा विचार या दृष्टिकोण प्रकट करते समय 'ठीक है', 'अच्छा है' आदि शब्दों का प्रयोग करके उसके विचारों को स्वीकृति प्रदान करता है तो इसे स्वीकृति प्रविधि कहते हैं। स्वीकृति प्रदान करने का मुख्य उद्देश्य उपबोध्य को अपने विचार निःसंकोच रूप से प्रकट करने की प्रेरणा देना है।
(3) पुनरावृत्ति प्रविधि - कुछ विद्वानों के अनुसार पुनर्कथन या पुनरावृत्ति और स्वीकृति में कोई भिन्नता नहीं है लेकिन स्वीकृति और पुनरावृत्ति में अन्तर है। स्वीकृति में कुछ शब्दों का प्रयोग यह संकेत देने के लिये किया जाता है कि वह उपबोध्य के कथन के प्रति सजग है जबकि पुनरावृत्ति मंन उपबोधक उपबोध्य के कथन को दोहराता है ताकि उसको यह विश्वास हो जाए कि उपबोधक सजग है तथा वह कथन के प्रति स्पष्ट हो जाए।
(4) स्पष्टीकरण प्रविधि - उपबोधक और उपबोध्य दोनों के लिये स्पष्टीकरण आवश्यक है। यदि उपबोध्य द्वारा कहीं कोई बात उपबोधक की समझ में नहीं आती है तो उसे उपबोध्य से उसकी बात को और स्पष्ट रूप में व्यक्त करने के लिये कहना चाहिए। इससे समस्या को समझने में सरलता होती है। कभी-कभी उपबोधक भी उपबोध्य की बात को अपनी समझ के अनुसार स्पष्ट कर सकता है।
(5) मान्यता प्रदान करने की प्रविधि - उपबोध्य वार्तालाप के समय अपनी समस्या से सम्बन्धित अनेक तथ्य या विचार व्यक्त करता है ऐसे समय उपबोधक को उसके तथ्यपूर्ण विचारों को बीच-बीच में मान्यता प्रदान करनी चाहिए।
(6) सामान्य नेतृत्व प्रविधि - सामान्यतः प्रबोधक को यह अनुभव होता है कि उपबोध्य अब अपना वक्तव्य समाप्त करने वाला है तो उसे अपनी वार्ता को और आगे बढ़ाने की प्रेरणा देने के लिये इस प्रविधि का प्रयोग करना चाहिए। इस कार्य के लिये उपबोधक को वार्तालाप के समय अल्प नेतृत्व करना पड़ता है।
(7) विश्लेषण प्रविधि - इस प्रविधि में उपबोध्य द्वारा बतायी गयी समस्या और उससे सम्बन्धित तथ्यों का विश्लेषण उपबोधक द्वारा किया जाता है। इस विश्लेषण में वे ही तथ्य तथा सूचनाएँ सम्मिलित होनी चाहिए जो उपबोध्य द्वारा वर्णित हों। उपबोधक को तथ्यों को तोड़-मरोड़कर विश्लेषण नहीं करना चाहिए।
(8) विवेचन प्रविधि - विश्लेषण के बाद विवेचन आवश्यक है। विवेचना तथ्यों के विश्लेषण के बाद निष्कर्ष निकालने का महत्वपूर्ण सोपान है। उपबोधक विवेचना के बाद ऐसे निष्कर्ष निकालता है जिन निष्कर्षो तक पहुँचने में उपबोध्य अपने को असमर्थ पाता है।
(9) परित्याग प्रविधि - कभी-कभी उपबोधक को उपबोध्य के विचार त्रुटिपूर्ण लगते हैं ऐसे में दोषपूर्ण विचारों का परित्याग करना उपबोधक के लिये आवश्यक हो जाता है। परित्याग का उद्देश्य उपबोध्य की विचारधारा में परिवर्तन लाना है। परित्याग के समय उपबोधक को सावधान रहना चाहिए, ताकि उपबोध्य इसका गलत अर्थ लेकर नाराज न हो जाये।
(10) आश्वासन प्रविधि - आश्वासन प्रविधि स्वीकृति से अधिक व्यापक है। उपबोध्य को निराशा से बचाने के लिये आवश्यक है कि उपबोधक उसे आश्वस्त करता रहे कि उसकी समस्या का समाधान अवश्य होगा। ऐसा करने से उपबोधक में उसका विश्वास बढ़ेगा और वह उपबोधक से सम्पर्क स्थापित करने के लिये उत्सुक रहेगा।
(11) व्याख्यान प्रविधि - शिक्षा जगत् में व्याख्यान प्रविधि का प्रचलन अधिक लोकप्रिय है। शिक्षण विधि के रूप में शिक्षकों द्वारा इसका उपयोग माध्यमिक स्तर से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक किया जाता है। परामर्श के क्षेत्र में इस प्रविधि का उपयोग कुछ अवसरों पर ही किया जाता है। व्याख्यान प्रविधि का उपयोग प्रायः सामूहिक परिस्थिति में किया जाता है। इसमें परामर्शदाता या वक्ता प्रधान होता है तथा उपबोध्य निष्क्रिय रूप में श्रवण करते हैं।
(12) परिचर्चा प्रविधि - परिचर्चा भी परामर्श की एक महत्वपूर्ण प्रविधि है। परिचर्चा से आशय किसी प्रकरण या समस्या स्तर पर परस्पर वार्तालाप करना है। परिचर्चा वैसे तो परामर्श में, परामर्शदाता और उपबोध्य के मध्य की स्थिति में उपयुक्त मानी जाती है किन्तु इसका उपयोग सामूहिक परामर्श में भी किया जा सकता है। यह प्रविधि इस सिद्धान्त पर आधारित है कि उपबोध्य परामर्श प्रक्रिया में उपबोध्य की सहभागिता जितनी अधिक होगी, उतना ही अधिक परामर्शदाता उपबोध्य और उसकी समस्या को समझ सकेगा।
(13) अभिनय - नाटकीयकरण भी परामर्श की एक प्रविधि है। इस प्रविधि का प्रयोग परामर्शदाता उपबोध्य से समस्या तथा उसमें स्वयं से सम्बन्धित तथ्यों को प्रकट करवाने के लिये करता है। अभिनय कला में परामर्शदाता को निपुण होना चाहिए।
निर्देशन व परामर्श में साक्षात्कार प्रविधि की उपयोगिता - साक्षात्कार का अर्थ है - दो व्यक्तियों का किसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु आपसी वार्तालाप। सूचना देने वाला तथा सूचना लेने वाला, दोनों ही किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिये वार्तालाप करते हैं। पोलिन के शब्दों में, "साक्षात्कार वह क्रमबद्ध विधि है जिसके द्वारा एक व्यक्ति अपेक्षाकृत अजनबी व्यक्ति के जीवन में प्रवेश करता है।
"व्यक्ति के विषय में जानकारी एवं सूचनाएँ प्राप्त करने की अमानकीकृत प्रविधि साक्षात्कार है।"
राइटस्टोन, जस्टमैन, रॉबिन्स ने साक्षात्कार प्रविधि में निम्नलिखित गुण बताए हैं -
(1) इसमें लचीलापन है।
(2) किसी भी स्पष्टीकरण को करने की सुविधा होती है।
(3) साक्षात्कार करने वाला उत्तरदाता के उत्तरों से सम्बन्धित अन्य प्रश्न भी कर सकता है।
(4) उत्तरदाता के उत्तरों के आधार पर साक्षात्कारकर्ता नवीन प्रश्न पूछकर और भी अधिक जानकारी प्राप्त कर लेता है।
(5) साक्षात्कार प्रविधि में व्यक्ति के जीवन से सम्बन्धित अनेक बातों का ज्ञान सरलता से हो जाता है।
(6) व्यक्ति के जीवन के महत्वपूर्ण पक्ष साक्षात्कार के समय दिखायी पड़ते हैं। (7) परिस्थितियों के अनुसार साक्षात्कार को लचीला बनाया जा सकता है।
(8) साक्षात्कार की प्रत्येक गतिविधि एवं वार्तालाप के द्वारा सामाजिक अनुसन्धानों तथा सामाजिक अध्ययनों के लिये सामग्री का संकलन किया जाता है।
(9) निषेधात्मक भावनाओं को स्वीकार करने तथा उनको स्पष्ट करने का अवसर साक्षात्कार में प्राप्त होता है।
(10) सम्पूर्ण व्यक्ति को समझने की यह उत्तम प्रविधि है। इससे व्यक्ति की अभिवृत्ति, संवेग, विचार आदि सभी का अध्ययन होता है।
(11) साक्षात्कार देने वाले को अपनी समस्याएँ प्रकट करने का साक्षात्कार अच्छा अवसर प्रदान करता है।
(12) छात्र की समस्याओं का कारण ज्ञात करने में साक्षात्कार सहायता करता है।
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- प्रश्न- निर्देशन का क्या अर्थ है? निर्देशन की प्रमुख विशेषताओं तथा क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निर्देशन के महत्वपूर्ण उद्देश्य कौन-कौन से हैं? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन के मूल सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन की आवश्यकता से आप क्या समझते हैं? शैक्षिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण से निर्देशन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "व्यावसायिक निर्देशन शैक्षिक निर्देशन पर प्रभुत्व रखता है।" स्पष्ट कीजिये एवं इस कथन का औचित्य बताइये।
- प्रश्न- निर्देशन के प्रमुख सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन की आधुनिक प्रवृत्तियाँ क्या हैं?
- प्रश्न- निर्देशन की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन के विषय क्षेत्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निर्देशन तथा शिक्षा में कौन-कौन से मुख्य अन्तर हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन के कार्य क्या हैं?
- प्रश्न- निर्देशन की प्रकृति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निदर्शन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "समृद्ध भारत के लिये निर्देशन सेवाओं की अत्यधिक आवश्यकता है।" विभिन्न परिप्रेक्ष्य में इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? शैक्षिक निर्देशन की आवश्यकता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन के मुख्य उद्देश्यों तथा शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर शैक्षिक निर्देशन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर शैक्षिक निर्देशन के स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तिगत निर्देशन किसे कहते हैं? व्यक्तिगत निर्देशन के स्वरूप एवं महत्त्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर व्यक्तिगत निर्देशन के उद्देश्यों या कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यावसायिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? इसके महत्त्व और आवश्यकता को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- छात्रों के व्यावसायिक निर्देशन में विद्यालय क्या भूमिका निभा सकता है?
- प्रश्न- "व्यक्तिगत निर्देशन, निर्देशन का मूलाधार है।" इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन के प्रमुख सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक और व्यावसायिक निर्देशन में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यावसायिक निर्देशन की शिक्षा के क्षेत्र में क्यों आवश्यकता है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तिगत निर्देशन किसे कहते हैं? इसके मुख्य उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन के सिद्धान्त क्या है स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? इसकी उपयोगिता का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सूचना सेवा से आप क्या समझते हैं? सूचना सेवाओं के उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सूचना सेवा की कार्य विधि का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नियोजन सेवा से आप क्या समझते हैं? विद्यालय के नियोजन सम्बन्धी कार्यों एवं उत्तरदायित्वों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निर्देशन सेवाओं में कौन-कौन से कर्मचारी भाग लेते हैं? प्रधानाचार्य एवं अध्यापक की निर्देशन सम्बन्धी भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श में अभिभावक एवं वार्डेन की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किसी विद्यालय के निर्देशन सेवा के संगठन की आधारभूत आवश्यकताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन सेवा में विद्यालय स्तर पर कार्यरत प्रमुख व्यक्तियों की भूमिका का विस्तारपूर्वक उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अनुवर्ती सेवाओं से आप क्या समझते हैं? इसका क्या प्रयोजन है? अध्ययनरत छात्रों के लिए अनुवर्ती सेवाओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- छात्र सूचना या वैयक्तिक अनुसूची सेवा से आपका क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सूचना सेवा की आवश्यक सामग्री का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- नियोजन सेवा के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परामर्श सेवा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सूचना सेवा कितने प्रकार की होती है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- व्यावसायिक निर्देशन में आवश्यक सूचनाओं को बताइए।
- प्रश्न- व्यक्ति निर्देशन में आवश्यक सूचना को बताइये।
- प्रश्न- भारत में व्यवसाय से सम्बन्धित सूचनाओं के प्रमुख स्रोत क्या हैं?
- प्रश्न- निर्देशन सेवाओं में परिवार की क्या भूमिका होती है?
- प्रश्न- अनुकूलन सेवा से आपका क्या अभिप्राय है? इसकी आवश्यकता के क्या कारण हैं? स्पष्टतया समझाइये।
- प्रश्न- उपचारात्मक सेवाओं से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- अनुवर्ती अध्ययन की समस्याएँ एवं समाधान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भूतपूर्व छात्रों का अनुवर्ती अध्ययन क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भूतपूर्व छात्रों के अनुवर्ती अध्ययन की विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कृत्य विश्लेषण एवं कृत्य संतोष में क्या सम्बन्ध है?
- प्रश्न- विद्यालयों में निर्देशन सेवाओं से आप क्या समझते हैं? विद्यालय निर्देशन- सेवाओं के संगठन के प्रचलित सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- माध्यमिक स्तर पर निर्देशन सेवाओं के संगठन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय निर्देशन सेवा के प्रमुखं कार्य कौन-कौन से हैं? प्राथमिक तथा सैकेण्ड्री स्कूल स्तर पर निर्देशन कार्यक्रम संगठन के उद्देश्यों तथा कार्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालयी निर्देशन सेवाओं के संगठन की मुख्य संकल्पनाएँ क्या हैं? इसकी आवश्यकता व क्षेत्र क्या है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वर्णन कीजिए कि आप एक शिक्षक के रूप में माध्यमिक स्तर पर निर्देशन कार्यक्रम को किस प्रकार से संगठित करेंगे?
- प्रश्न- विद्यालय निर्देशन सेवा द्वारा किये जाने वाले मुख्य कार्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय की निर्देशन संगठन सेवा का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय में निर्देशन सेवाओं के सफल संगठन के लिए किन-किन मुख्य बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय में निर्देशन कार्यक्रमों के सफल संचालन हेतु किन-किन कर्मचारियों की आवश्यकता होती है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन सेवाओं के विभिन्न रूपों तथा सिद्धान्तों को संक्षिप्त रूप में बताइए।
- प्रश्न- निर्देशन में मूल्यांकन के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन में मूल्यांकन के सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- परामर्श क्या है? परामर्श के उद्देश्य तथा सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परामर्श क्या है? परामर्श की आवश्यकता तथा महत्व का वर्णन कीजिए। अथवा छात्र परामर्श की आवश्यकता बताइये।
- प्रश्न- परामर्श की प्रक्रिया को समझाइए।
- प्रश्न- एक अच्छे परामर्शदाता के कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- परामर्श से आपका क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- परामर्श और निर्देशन में कौन-कौन से मुख्य अन्तर पाए जाते हैं? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एक अच्छे परामर्शदाता में कौन-कौन से गुणों का होना आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- परामर्श से सम्बन्धित प्रमुख परिभाषाओं को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- परामर्श के उद्देश्यों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- "एक परामर्शदाता के लिये समूह गतिशीलता का ज्ञान होना आवश्यक है।" स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- धर्म-परामर्श में सह-सम्बन्ध बताइये।
- प्रश्न- व्यक्तिवृत्त-अध्ययन विधि से आप क्या समझते हैं? इसके गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संचित अभिलेख पत्र क्या है? संचित अभिलेख पत्र की विशेषताएँ कौन-कौन सी हैं? इस पत्र की उपयोगिता की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- साक्षात्कार प्रविधि से आप क्या समझते हैं? साक्षात्कार प्रविधि के मुख्य तत्त्वों विशेषताओं एवं उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निर्धारण मापनी या रेटिंग स्केल से आपका क्या अभिप्राय है? इनकी मुख्य विशेषताओं तथा प्रकारों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- साक्षात्कार प्रविधि के कितने प्रकार हैं? अनिर्देशित साक्षात्कार प्रविधि के लाभ एवं सीमाएँ बताइए।
- प्रश्न- संचित अभिलेख पत्र के निर्माण के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तिवृत्त अध्ययन प्रविधि की सीमाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- साक्षात्कार प्रविधि के गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्रम निर्धारण प्रविधि या निर्धारण मापनी को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- साक्षात्कार विधि के मुख्य उपयोगों के बारे में संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निरीक्षण या अवलोकन के अर्थ तथा परिभाषाओं को संक्षेप में स्पष्ट करें।
- प्रश्न- निरीक्षण या अवलोकन प्रविधि के दोषों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रश्नावली प्रविधि के अर्थ तथा परिभाषाओं को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- क्रम निर्धारण प्रविधि की कमियों या सीमाओं पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संचयी आलेख का अर्थ बताइए।
- प्रश्न- परामर्श प्रदान करने की मुख्य प्रविधियाँ कौन-कौन सी हैं? निर्देशीय तथा अनिर्देशीय परामर्श की प्रविधियों की मुख्य धारणाओं, सोपानों तथा लाभ एवं कमियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- परामर्श की प्रमुख प्रविधियाँ कौन-कौन सी हैं? निर्देशन और परामर्श में साक्षात्कार प्रविधि क्यों अधिक उपयोगी सिद्ध हुई है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समन्वित परामर्श से आप क्या समझते हैं? समन्वित परामर्श की मुख्य धारणाओं, लाभों तथा कमियों एवं सीमाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परामर्श क्या है? परामर्श तथा निर्देशन में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन के साधन क्या हैं?
- प्रश्न- निर्देशात्मक परामर्श की प्रमुख विशेषताओं और सीमाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अनिदेशात्मक परामर्श से क्या तात्पर्य है? अनिदेशात्मक परामर्श की मूल धारणाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशीय तथा अनिर्देशीय परामर्श में कौन-कौन से मुख्य अन्तर पाए जाते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अनिर्देशीय परामर्श की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अनिर्देशीय परामर्श के मुख्य कार्यों को संक्षेप में बताएँ।
- प्रश्न- समन्वित परामर्श मुख्य चरणों या पदों को संक्षिप्त रूप में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशीय परामर्श के मुख्य चरण या सोपान कौन-कौन से हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- परामर्श के किसी एक उपागम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परामर्शदाता की विशेषताओं, गुणों तथा व्यावसायिक नीतिशास्त्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परामर्शदाता की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- परामर्शदाता में किस प्रकार का अनुभव होना आवश्यक है, बताइये।
- प्रश्न- परामर्शदाता का प्रशिक्षण कार्यक्रम बताइये।
- प्रश्न- निर्देशन कार्यक्रम में परामर्शदाता की भूमिका क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- परामर्शदाता के व्यक्तित्व सम्बन्धी विशेषकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- क्रो एवं क्रो के अनुसार परामर्शदाताओं के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परामर्शार्थी और परामर्शदाता के पारस्परिक सम्बन्धों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों की आवश्यकता बताइए तथा निर्देशन केन्द्रों के उद्देश्य भी बताइए।
- प्रश्न- भारत में निर्देशन एवं परामर्श की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों के कार्य बताइए।
- प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि से आप क्या समझते हैं? बुद्धि के प्रकार, विशेषताएँ एवं सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि के मापन से आप क्या समझते हैं? बुद्धि परीक्षणों के प्रकार का वर्जन करते हुए बुद्धिलब्धि को कैसे ज्ञात किया जाता है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा और निर्देशन में बुद्धि परीक्षणों की उपयोगिता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- रुचि क्या है? रुचि की महत्वपूर्ण विशेषताओं और प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति का क्या अर्थ है? अभिवृत्ति परीक्षण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'रुचि आविष्कारिकाएँ' क्या मापन करती हैं? कम से कम दो रुचि आविष्कारिकाओं का नाम बताइए।
- प्रश्न- बुद्धि कितने प्रकार की होती है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि की मुख्य विशेषताएँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि के अर्थ तथा स्वरूप पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- रुचि का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- रुचियों के मुख्य प्रकार कौन-कौन से हैं? संक्षेप में बताइये।
- प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श में रुचि सूचियों के लाभ का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रुचि-सूचियों की कमियां या दोषों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति के वर्गीकरण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतवर्ष में रुचि मापन के कार्यों पर प्रकाश डालिये।.
- प्रश्न- निर्देशन सेवाओं में कौन-कौन से कर्मचारी भाग लेते हैं? प्रधानाचार्य एवं अध्यापक की निर्देशन सम्बन्धी भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श में अभिभावक एवं वार्डेन की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विशिष्ट बालकों से क्या अभिप्राय है? उनकी क्या विशेषताएँ हैं? पिछड़े बालकों की शिक्षा एवं समायोजन के लिये निर्देशन व परामर्श का एक कार्यक्रम तैयार कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श कर्मचारी वर्ग के रूप में प्रधानाचार्य की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विशिष्ट बालकों को निर्देशन व परामर्श देते समय क्या सावधानियाँ रखी जानी चाहिये? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चिकित्सा कर्मचारी किस प्रकार निर्देशन प्रक्रिया में योगदान देते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन प्रक्रिया में शारीरिक शिक्षक के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन कार्यक्रम में परामर्शदाता की भूमिका क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रधानाचार्य के निर्देशन सम्बन्धी उत्तरदायित्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन में शिक्षक की भूमिका क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मनोचिकित्सक की भूमिका बताइये।